धन्य घड़ी - धन्य भाग्य

अरुण के आँचल में अवस्थित परशुराम कुंड इस धरा धाम का वह तेजस्वी स्थान है जहाँ स्वयं भगवान श्री विष्णु के अंशावतार राज-राजेश्वर चिरंजीवी श्री परशुराम ने प्रायश्चित साधना की थी. ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान व दर्शन द्वारा क्षमादान प्राप्ति से सदमार्गी व्यक्ति की मनोरथ सिद्धि निष्कंटक हो जाती है.

अद्वितीय प्राकृतिक छटा से आप्लावित इस आदि परशुराम कुण्ड क्षेत्र का जीर्णोद्धार एवं विकास कार्य देशवासियों के सौभाग्य का सूचक है. भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश स्थित परशुराम कुंड रूपी विरासत के कायाकल्प, संरक्षण एवं संवर्धन हेतु 40 करोड़ की राशि आवंटित कर ऐतिहासिक पहल की है. शीघ्र ही देश के पूरब के पूरब में सनातन संस्कृति के उत्थान का नवोदय परिलक्षित होगा.

धन्यता का विषय है कि सरकार ने लोहित नदी में परशुराम कुंड के मध्य पहाड़ी की चोटी पर चिरंजीवी श्रीपरशुरामजी की 51 फिट की पंचधातु की मूर्ति स्थापना का निर्णय लेकर यह दुर्लभ अवसर स्वनामधन्य संस्था विप्र फाउंडेशन को प्रदान किया है। मूर्ति निर्माण, स्थापना व देख-रेख तथा पवित्र परिसर के उन्नयन में सहयोगी की भूमिका का अवसर मिलना संस्था का अहो भाग्य है. यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन. युगदृष्टा मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू जी का आभार.

आने वाले समय में पृथ्वी पर वास करने वाला प्रत्येक सनातनी परशुराम कुंड आकर धन्यता का अनुभव करेगा. इस देवीय कार्य के साक्षी एवं सारथी बनने का सुअवसर प्राप्त होने पर अनेकानेक बधाई. श्री परशुराम भक्त प्रत्येक नागरिक को इस पुण्य कार्य में सहभागी बनने का सुख प्राप्त हो, हम ऐसा प्रयास करेंगे.

सर्वे भवन्तु सुखिनः